Friday, October 24, 2014

निरीह निर्दोष न हो शहीद


नाम चाहे जो रख लो शाहरुख़ या सलमान
हिन्दू के घर जाओ या ले जाये मुसलमान
तेरी तो नियति में लिखा हैै हो जाना कुर्बान
कहीं मनेगा दशहरा होगी कहीं बकरीद
बकरे की अम्मा कबतक खैर मनाएगी
आज नही तो कल गोद सुनी हो जाएगी
नवरात्र -बकरीद में तू सबका है मुरीद
राम से बचा तो रहीम के घर होगा शहीद
नही रहमत तेरा न कोई तेरा है भगवान
त्यौहार की हो तुम बलि मन में लो ठान
नही दया किसी कोे तुम हो भले नादान
अपने स्वाद को लोग लेते तुम्हारी जान
पर है तुम्हे भी जीने का अधिकार
नही जाएगी तुम्हारी कुर्बानी बेकार
क्यों हो बलि किया नही जब कोई नुकसान
ऐश करते आतंकी बनके सरकारी मेहमान
मजे उड़ाते भ्रस्टाचारी लुटके सबका अरमान
नेता-अफसर-कर्मचारी सब लुट के अधिकारी
पड़े बलि इनसबकी खत्म हों सारे बलात्कारी
न हो अन्याय कहीं निरीह निर्दोष न हो शहीद
सफल होगा नवरात्र तभी मनेगी तभी बकरीद।
Unlike

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