नववर्ष अभिनन्दन
नववर्ष नवविहान, नव अभिनन्दन
नव गति छंद नव नव ताल नवगुँजन।
गुरुवर-मित्र-नव सब-अब शुभवन्दन
करत सप्रेम कर पुष्प कमल भूषण।।
पल्लवित-पुष्पित, प्रफुल्लित उपवन
नववर्ष की नई सुबह, हर्षित तनमन।
तज तमस तिमिर घनेरी, कर स्वागत
स्वागत नवसंवत्सर अर्पित अभिनन्दन।
पुलकित प्रकृति, हर्षित धरती-गगन
मद्धम-मद्धम मनमुदित बासंती पवन।
तज जीर्ण काया, ओढ़ नव पल्लव,
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नवसंवत् नमन।
©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड
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