श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
काल चक्र से परे हो मोहन, तुम्हीं बताओ पड़े कहाँ हो,
पार्थ सारथी बने हो माधव, जहां जरूरत खड़े वहाँ हो।
तुम्हें ही ढूंढे है जग ये सारा, तड़प रहा है ये दिल हमारा-
अभी जरूरत तुम्हारी केशव, चले ही आओ बसे जहाँ हो।।
नहीं धरा में नहीं गगन में, न तुम यहाँ हो न तुम वहाँ हो,
खोजा सबने घर के अंदर, तुम्हीं बताओ न तुम कहाँ हो।
नहीं पता है किसी को तेरा, अजब रचा है ये खेल तेरा-
करे मुहब्बत तुम्हें जो कान्हा, यही बताओ न तुम वहाँ हो।।
सूनी-सूनी है ब्रज की गलियाँ, सुना गोकुल पड़ा है माधव,
हुआ प्रदूषित यमुना सारा, कलिया का फन खड़ा है माधव।
तड़पती मीरा तड़पती राधा, तड़पती गोकुल की गोपियाँ सब,
सिसकती वृंदावन की गलियां, मथुरा दुश्मन गड़ा है माधव।।
काल कोरोना का ये संकट, उठा गोवर्द्धन बचाओ माधव,
नाग कालिया को नथा तब, अभी कोरोना भगाओ माधव।
पूतना को था जैसे मारा, कंस से था जगत उबारा-
आयी विपदा बड़ी भयंकर, अभी सुदर्शन उठाओ माधव।।
मची है त्राहि सकल चराचर, चले भी आओ पड़े जहाँ हो,
मिटा कोरोना जगत से अब तो, तुम्हीं बचाओ खड़े कहाँ हो।
चीर हरता खड़ा दुःशासन, पाशा शकुनि बिछा यहाँ पर-
उठा सुदर्शन पुनः हे माधव, बचा लो धरती अड़े कहाँ हो।
कवि पंकज प्रियम
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