गैया
अमृत धारा देती गैया, लगती जैसे सबकी मैया।
दूध तो अमृत तुल्य ही होवे, गोमूत्र गोबर औषधि भैया।
कृष्ण दुलारी गोपी प्यारी, गोकुल नाचे ता ता थैया।
कष्ट सहे खुद देती जीवन, परोपकारी होती गैया।।
गो रक्षा का संकल्प करो अरु, सेवा करो माता गैया।
गोहत्या जो करता यहाँ पर, समझो दानव पापी भैया।
माफ़ नहीं तू करना खुदा, मारे यहाँ जो तेरी ख़ुदाई-
गोधन पे जो चलाये कटारी, कहलाये वो दुष्ट कसाई।।
जीवन देती जैसे माता, पूजन करो मिल के भ्राता।
मैया पिलाती दूध बरस अरु गैया दूध जीवन दाता।।
पढ़ो कुरान बाइबिल गीता, सबने लिखा गौ को है माता।
कामधेनु कहलाती गैया, पूजन करे जिसकी विधाता।।
दूध दही घृत मक्खन अरु, बनती मिठाई जिससे सारी।
शुद्ध करे जो पर्यावरण, होती उपयोगी गैया प्यारी।।
जीवन भर देती पौषण, पार बैतरणी कराए हमारी।
देव् सभी का वास जिसमें, जीव आधार गैया दुलारी।।
©पंकज प्रियम
गोपाष्टमी की हार्दिक बधाई
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