कोरोना कमाल
घनाक्षरी
आलू को बुखार चढ़ा,
टमाटर लाल हुआ।
हरी मिर्च हरजाई,
धनिया धमाल है।
गिर गया नेता पर,
चढ़ गयी महंगाई।
आग लगी सब्जी में,
कोरोना कमाल है।
घट गई रोजगारी,
बढ़ गयी महंगाई,
रसोई में आग लगी,
जनता बेहाल है।
आपदा में अवसर,
ढूंढ़ रहे हॉस्पिटल,
मरीजों को लूट-लूट,
हुए मालामाल हैं।
कोरोना सयाना बड़ा,
छेड़ता गरीब को ही,
नेता मंत्री अफसर,
छुवे क्या मजाल है?
रेल बस चढ़ जाता,
विद्यालय बढ़ जाता,
पर रैली चुनावों में
करे न सवाल है।
मन्दिर में घुसकर,
पूजा पाठ सब रोके।
परब त्यौहार में तो,
करता बवाल है।
कोरोना रंगीला बड़ा,
सब मुँह मास्क चढ़ा
दारू की दुकान बैठ,
पिये रम लाल है।
©पंकज प्रियम
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