Wednesday, November 11, 2020

889.ईवीएम

ईवीएम बेचारी
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जब जब उनकी पार्टी हारी,
बदनाम हुई ईवीएम बेचारी।
जब जीतते तब ठीकठाक
हारते ठीकरा इसके नाम।
मुफ्त में ही होती है बदनाम,
छेड़छाड़ आरोप तो है आम। 
रोती बिलखती ईवीएम प्यारी,
गलती नही है कुछ भी हमारी।
कैसी है यह फितरत तेरी,
नाचन जाने तो गलती मेरी।
जब जीतते तब न देते ईनाम,
जब हारे तो करते बदनाम!
मैं हूँ निष्कलंक मैं हूँ बेदाग़,
मत उगल तुम मुझपे आग।
कल लुटते थे बैलेट सरेआम,
आज करते मुझको बदनाम!

©पंकज प्रियम

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