Sunday, October 17, 2021

929. माँ गौरी

माँ गौरी
हरो माँ कष्ट जीवन का, सकल संताप हर लो माँ।
करूँ आराधना हरदम, सभी तुम पाप हर लो माँ। 
सदा खुशियां ही बाँटी है, किसी का दिल नहीं तोड़ा-
हुई अनजान गर गलती, तो' फिर हर श्राप हर लो माँ।।
कवि पंकज प्रियम

No comments: