Saturday, October 16, 2021

927.दो बैल और एक इंजेक्शन

दो बैल और एक इंजेक्शन

बबलू पिछले 10 दिन से अस्पताल में है। उसका नवजात बच्चा वेंटिलेटर पर ज़िंदगी और मौत से जूझ रहा है। राहत की बात यह है कि उसके पास आयुष्मान कार्ड है जिससे इलाज का खर्च वहन हो जा रहा है लेकिन जब डॉक्टर ने उसे 32 हजार का इंजेक्शन बाहर से खरीदने को कहा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी। 
"लेकिन डॉक्टर साहब मेरे पास तो आयुष्मान कार्ड है और सरकार तो कहती है कि 5 लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज होता है?" बबलू रुंआसा होकर बोला।
"तो क्या हुआ? आयुष्मान कार्ड से यहाँ एक लिमिट में ही इलाज होता है। महंगा दवा और सुई बाहर से ही खरीदना होगा।"  

"लेकिन...डॉक्टर सा....इतना महंगा इंजेक्शन कहाँ से लाएंगे?"
"वो तुम जानो, बच्चे को बचाना है तो इंजेक्शन जल्दी लाओ"- डॉक्टर दो टूक कहकर चलता बना।
बबलू हैरान परेशान, किससे मदद की गुहार लगाए। खेती-मजूरी कर तो मुश्किल से दो वखत का खाना जुगाड़ होता है। जो जमा पूंजी थी वह एम्बुलेंस गाड़ी और 10 हजार एडवांस जमा कर दिया है। गाँव में साहूकार को फोन कर अपने दोनों बैल बेच दिया लेकिन उसके 25 हजार ही मिल पाए।
पैसे लेकर डॉक्टर के पास पहुँचा- "साहेब दो बैल था उसको बेचे तो 25 हजार ही मिल पाया। कोई जुगाड़ कर दीजिए न सुई का!"
"यहाँ कोई खैरात नहीं चलता है जाओ और जुगाड़ कर इंजेक्शन लाओ" -"डॉक्टर ने घुड़की दे दी।
बबलू सर पकड़ कर बैठ गया- दो ही तो बैल थे घर में अब क्या बेचकर इंजेक्शन लायें?
"सुनो! यहाँ तुम्हारे मरीज को संभालना मुश्किल हो रहा है। रेफर कर देते हैं बाहर ले जाओ" थोड़ी देर में अस्पताल एक फरमान आ गया। 
"लेकिन सर आप तो कह रहे थे कि बच्चा ठीक हो रहा है फिर अचानक से रेफर क्यूँ?" बबलू के लिए एक नई मुसीबत आन खड़ी हई। 
"जो कहा जा रहा है वह सुनो! यहाँ अब इलाज़ सम्भव नहीं है।" अस्पताल प्रबंधन ने रेफरल लेटर थमा दिया। 
बबलू की परेशानी और बढ़ गयी। वेंटिलेटर सपोर्ट एम्बुलेंस के साथ बाहर ले जाना मतलब 10 हजार का खर्च। नये अस्पताल में फिर से एडवांस और मत्थापच्ची अलग। बच्चे की जान का सवाल था बहरहाल बबलू अपने बच्चे को वेंटिलेटर पर लेकर राँची के लिए निकल पड़ा यह सोचते हुए कि पता नहीं वहाँ क्या होगा?
©पंकज प्रियम

4 comments:

Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-10-21) को "/"रावण मरता क्यों नहीं"(चर्चा अंक 4220) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा

SUJATA PRIYE said...

बहुत सुंदर रचना ❤️

Onkar said...

सुंदर प्रस्तुति

Alaknanda Singh said...

कहानी बहुत अच्‍छी ल‍िखी है, सरकार ने न‍िश्‍च‍ित ही उपाय क‍िए हैं परंतु ब्‍लैकमार्केट‍िंग ने सभी की नाक में दम कर रखा है। अस्‍पताल प्रबंधन हो या सरकारी ओहदेदार। और गरीब बनता है इनका आसान श‍िकार।