Wednesday, October 18, 2023

970. मैया

सुन ले मैया मेरी पुकार 

तू है जग की तारणहार 

अपनी शरण में ले -ले माँ 

कर दे मेरा बेडा पार, 

ओ माँ ... तू है जग की तारणहार.


शुम्भ-निशुम्भ को मारे तू 

चंड-मुंड संहारे तू 

तू है मैया जगदम्बा 

तेरी महिमा अपरम्पार 

ओ माँ... तू है जग की तारणहार.


सारे जग की दुलारी है 

बम भोले की प्यारी है 

तुझसे ही है सारा जहाँ 

करती है तू सब को प्यार 

ओ माँ तू है जग की तारणहार 


तू तो दुर्गा काली है 

तेरी कृपा निराली है 

भक्तों को सब देती माँ

दुष्टों को करे संहार 

ओ माँ तू है जग की तारणहार . 


पंकज प्रियं 

1 comment:

Admin said...

ये पंक्तियाँ पढ़कर सच में मन अपने आप माँ की तरफ खिंच जाता है। आपकी कविता की ख़ास बात ये है की आपने माँ को तारणहार की तरह दिखाया है, जो हर दुख में साथ देती है। जब आप शुम्भ-निशुम्भ और चंड-मुंड का ज़िक्र करते हो, तो वो शक्ति और भरोसा साफ महसूस होता है।