राम कृपा संसार
प्रभु राम से धरती अम्बर, राम कृपा संसार।
राम नाम तू जप ले बंदे, होगा बेड़ा पार।
कण-कण में प्रभु राम बिराजे, जन-गण में श्रीराम।
राम से बढ़कर नाम है उनका, भज लो सीताराम।
राम नाम से गङ्गा अविरल, सरयू कल-कल धार।
राम नाम तू जप ले बंदे, होगा बेड़ा पार।
सबरी के जूठे बेरों को, खाये करुण निधान।
बाली से सुग्रीव बचाये, केवट रखते मान।
विभीषण को लँका सिंहासन, मित्र बड़े दिलदार।
राम नाम तू जप ले बंदे, होगा बेड़ा पार।
मर्यादा पुरुषोत्तम हैं जो, सीता बसते प्राण।
मातु-पिता के आज्ञाकारी,दुश्मन हरते त्राण।
दुष्टदलन रिपुनाशक विष्णु के हैं वो अवतार।
राम नाम तू जप ले बंदे, होगा बेड़ा पार।
रोम-रोम में बसते हैं वो, भक्त हृदय हनुमान।
भ्राता लक्ष्मण, भरत-शत्रुघ्न, सबकी हैं वो जान।
लंका चढ़के रावण मारे, सागर सेतु अपार।
राम नाम तू जप ले बंदे, होगा बेड़ा पार।
राम नाम को जपकर ही तो, गाँधी बने महान।
डाकू रत्नाकर भी जपकर्ज़ बाल्मीकि पहचान।
राम नाम से अंतिम यात्रा, राम नाम संस्कार।
राम नाम तू जप ले बंदे, होगा बेड़ा पार।
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