नमन साहित्योदय
दिन सोमवार
छंद सृजन-सरसी छंद गीत
मात्रा भार 16,11
प्रेम की बाज़ी
आँखों से छलकाए मदिरा, मारे नैन कटार।
चंचल चितवन चैन चुराए, तीर चले दिल पार।
होठ गुलाबी होश उड़ाए, गोरे-गोरे गाल।
घोर घटा घनघोर गगन से, काले-काले बाल।
ज्वार उठाती मौज रवानी, बहती नदिया धार।
चंचल चितवन चैन चुराए, तीर चले दिल पार।
चमचम चमके चंदा जैसी, जैसे पूनम रात।
चंदन चम्पा और चमेली, महके खुश्बू गात।
ख़्वाबों की मलिका सी लगती, जाती चाँद के पार।
चंचल चितवन चैन चुराए, तीर चले दिल पार।
बोझ जवानी लेकर चलती, नागिन जैसी चाल।
देखे जो भी आशिक सारे, हो जाते बेहाल।
नैनों से ही बातें करती, नैनों से ही वार।
चंचल चितवन चैन चुराए, तीर चले दिल पार।
सूरज लाली सर पे चमके, नैना तीर कमान।
होठ रसीले नैन नशीले, झट से लेते जान।
फूलों सी वो कोमल काया, प्रेम सुधा रसधार।
चंचल चितवन चैन चुराए, तीर चले दिल पार।
इश्क़ समंदर प्रियम लहरकर, उमड़े दिल जज़्बात।
लफ़्ज़ मुसाफ़िर बनके फिरता, लेकर दिल सौगात।
प्रेम की बाजी जीत के ये, जाये खुद दिल हार।
चंचल चितवन चैन चुराए, तीर चले दिल पार।
©पंकज प्रियम
18.05.2020