Monday, December 6, 2010

प्रश्न नए

सोचता हूँ कभी भगवान ने
पेड़-पौधे ,जंतु-इन्सान तक
को बनाया सबमे रंग रूप जान डाला
पर इनमे भेदभाव क्यों जगाया।
जाती धर्म संप्रदाय रंग

का भेद क्या भगवान् ने ही बनाया

सोचता हु फिर नहीं उसकी तो

सब संतान है वह कैसे भेद करेगा।

फिर किसने यह रंग जमाया

हम जिसे चाहते है ,जिसे पूजते है

अपना दर्द,अपनी जान मानते है,

पर उसे ही अपना नही पाते हैं
जाती धर्म की बेडियो में
बंधा खुद को लाचार पाते है

एक राम एक रहीम कों
अपना भगवान मानते हैं
उसकी झूठी प्रतिष्ठा में

उसके ही संतान कों मारते हैं
कितना अच्छा होता पुरे जहाँ में
एक जाती धर्म .एक समाज
एक भगवान् एक खुदा होता
न कोई मंदिर ,न मस्जिद न चर्च न गुरुद्वारा

सब कुछ तो सबके दिल में है
सब जानते हैं फिर भी जाने क्यों

नही मानते हैं
हर बार नये प्रश्न उठाते हैं

--पंकज भूषण पाठक" प्रियम"

1 comment:

NITU THAKUR said...

बहुत खूब