Wednesday, January 17, 2024

983.राम अवध में आये हैं

घर-घर दीप जलाओ रे, मंगल गीत सुनाओ रे।
वर्षों का वनवास बिताकर, जनमन में विश्वास जगाकर
फिर अपने घर में आये हैं, सियाराम अवध में आये हैं।

पग-पग पलक बिछाओ रे, प्रेम पुष्प सजाओ रे।
मर्यादा का पाठ पढ़ाकर, जीती लंका मारके ठोकर
नंगे पांव ही चलकर, स्वामी जगत के आये हैं। 
सियाराम अवध में आये हैं। 




8 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" गुरुवार 18 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

Abhilasha said...

बहुत ही सुन्दर सार्थक रचना जय श्री राम

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

शुभा said...

वाह! बहुत सुन्दर सृजन!

Bharti Das said...

बहुत ही सुन्दर सृजन

Sudha Devrani said...

बहुत ही सुंदर सृजन ।
जय श्रीराम🙏🙏

कविता रावत said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति,,
जय श्री राम

Gajendra Bhatt "हृदयेश" said...

सुन्दर गीत... जय श्रीराम!