हर दिल हिंदुस्तान
तू चाँद बनके तो निकल, हम तेरा दीद कर लेंगे,
तेरे इश्क़ की मिठास में सेवई की उम्मीद कर लेंगे।
खत्म कर शिकवे गिले औ नफ़रतों के सिलसिले-
तू एकबार गले तो मिल, फिर देखना ईद कर लेंगे।।
तू पढ़ ले मेरी गीता, हम भी तेरा कुरान पढ़ लेंगे,
तू कर ले मेरी पूजा, हम भी तेरा अज़ान कर लेंगे।
मज़हबी दीवार ना हो कोई, न धर्म का हो बंधन-
तू नवरात्र मेरी कर लेना, हम भी रमजान कर लेंगे।
तू राम इबादत कर लो, ख़ुदा से मुहब्बत कर लेंगे,
प्यार जो दिल में भर लोगे, हम भी चाहत भर लेंगे।
छोड़ो न मुल्ला-मस्जिद, पण्डित और मन्दिर को-
दिल में हिंदुस्तान बसा लो, सारी नफ़रत हर लेंगे।।
©पंकज प्रियम
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