Tuesday, July 21, 2020

860. छनन छन छन

मुझे तुम माफ़ कर ईश्वर, तनिक अपराध करता हूँ,
नवाकर शीश चरणों मे, तुझे फरियाद करता हूँ।
नहीं पूजा नहीं जपतप, नहीं आराधना अब तो-
मुहब्बत हो गयी जबसे,  उसे ही याद करता हूँ।।

घटा सावन घनेरी में, तुम्हें ही याद करता हूँ। 
बरसते मेघ से हरदम, यही फरियाद करता हूँ।
बता देना सनम को तुम, बड़ा बैचेन है दिलवर-
चमकती दामिनी देखो, प्रियम संवाद करता हूँ।।

छनन छन छन छनन छन छन,-2
छमाछम नाचती बरखा, बरसती बूँद है छमछम। 
छटा घनघोर रातों में, चमकती दामिनी चमचम।
बरसता मेघ अम्बर में, लगे जो आग अवनि में-
मिलन की रात है आयी, मुहब्बत का यही मौसम।।

छनन छन छन छनन छन छन,-2 चनकन
हुई पुष्पित धरा सारी, खिले सब बाग वन उपवन,
उमड़ दरिया चली मिलने, लहर उठती समंदर तो
विरह की वेदना जागे, लगी हो आग जब तनमन।

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