कोरोना काल और सावन
कोरोना के काल में, सावन है बेकार।
मिलना जुलना बन्द है, सब बैठे लाचार।।
मन्दिर के पट बंद हैं, बंद सभी बाज़ार।
कैसे पूजा अर्चना, कैसे हो जयकार??
बम भोले जो मौन हैं, गौरा बन्द कपाट।
भक्त पुजारी देवता, पीस रहे दो पाट।।
चूड़ी काजल बिंदिया, नौलक्खा क्या हार?
कंगन कुमकुम कंचुकी, सोलह क्या सिंगार?
सावन बरखा दामिनी, मारे हिया कटार।
कोरोना में है फँसा, साजन तो उसपार।।
ऑनलाइन पूजन करो, यही समय दरकार।
घर को बनाओ देवघर, घर में ही जल ढार।।
©पंकज प्रियम
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