Friday, July 17, 2020

857.मनभावन सावन

सावन-सावन मनभावन सावन
आजा-आजा अब घर में साजन।

सावन-सावन मनभावन सावन।
बरसे बादल फिर मेरे आँगन।
टिप-टिप बूंदो के संग देखो-
नाची बरखा फिर मेरे आँगन।।

बमभोले का है मास ये पावन,
झूला झूले संग राधा मोहन।
घनघोर घटा हो छायी अम्बर-
मोर पपीहा तब नाचे कानन।।

वसुधा-अम्बर का रोज मिलन,
भीगी बरखा तन आग लगावन।
चमक बिजुरिया उर मारे ख़ंजर-
आजा-आजा अब तो साजन।।

चूड़ी बिंदिया ये काजल कंगन,
काया कंचन ये कुमकुम चन्दन।
कुछ भी मुझको रास न आये-
सूना-सूना यह लगता आँगन।।
©पंकज प्रियम

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