Monday, July 27, 2020

861. तुलसीदास

तुलसी जयंती पर महाकवि को शत शत नमन

राम कृपा जो उनपे बरसी, लागी ऐसी प्यास।
रामचरित मानस को मन से, रचते तुलसीदास। 
 
जन-जन में पहुंचाई कीर्ति, सरल सहज हैं बोल।
घर-घर मानस सब हैं पढ़ते, अमृत रस के घोल।
अवधी में रच डाला मानस, गज़ब गढ़ा इतिहास।
रामचरित मानस को ----.

चित्रकूट के राजापुर घर,       जन्मे आत्माराम।
हुलसी देवी उनकी माता,      बचपन बोला राम।।
रूप परम् रत्नावली पत्नी, जगी मिलन की आस।
रामचरितमानस--।

यमुना तैर शयन को पहुँचे,     चाहत चैन करार।
पत्नी ने तब खीज उतारी,   खूब लगी फटकार।।
जितना प्रेम किया है मुझसे, करते भगवन काश!
रामचरित मानस.../

सुनके दोहा पत्नी का तब, छोड़ दिया सब मोह।
राम भजन में डूबे ऐसे ,     खोये भगवन खोह।।
राम नाम को जपते-जपते, ग्रन्थ रचे वो ख़ास।।
रामचरित मानस---/
कवि पंकज प्रियम

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