तुलसी जयंती पर महाकवि को शत शत नमन
राम कृपा जो उनपे बरसी, लागी ऐसी प्यास।
रामचरित मानस को मन से, रचते तुलसीदास।
जन-जन में पहुंचाई कीर्ति, सरल सहज हैं बोल।
घर-घर मानस सब हैं पढ़ते, अमृत रस के घोल।
अवधी में रच डाला मानस, गज़ब गढ़ा इतिहास।
रामचरित मानस को ----.
चित्रकूट के राजापुर घर, जन्मे आत्माराम।
हुलसी देवी उनकी माता, बचपन बोला राम।।
रूप परम् रत्नावली पत्नी, जगी मिलन की आस।
रामचरितमानस--।
यमुना तैर शयन को पहुँचे, चाहत चैन करार।
पत्नी ने तब खीज उतारी, खूब लगी फटकार।।
जितना प्रेम किया है मुझसे, करते भगवन काश!
रामचरित मानस.../
सुनके दोहा पत्नी का तब, छोड़ दिया सब मोह।
राम भजन में डूबे ऐसे , खोये भगवन खोह।।
राम नाम को जपते-जपते, ग्रन्थ रचे वो ख़ास।।
रामचरित मानस---/
कवि पंकज प्रियम
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