फिर से कोरोना आया है,
पहले से ज्यादा छाया है।
बच्चे बूढ़े और जवां-
सबका मन घबराया है।।
भूल चले थे जिसको हम,
लौट के आये सारे गम।।
कौन बचेगा कहना नहीं-
सबपर मौत का साया है।
फिर से -/
सरकार ने सब जो छोड़ा है,
हमने भी नियम को तोड़ा है।
दो ग़ज़ दूरी भूले और-
चेहरे से मास्क हटाया है।
फिर से-/
जनसैलाब चुनावों में
सन्नाटा बस गाँवों में।
देख सियासत का चेहरा-
सबका मन भरमाया है।
फिर से-/
इतिहास तो साक्षी बनती रही,
लाशों पे सियासत सजती रही।
वोट की ख़ातिर भीड़ जुटा
सबने खतरा बढ़ाया है।
फिर से-/
नेता तो चालाक मगर,
नहीं लागे क्यूँ तुझको डर।
रेलम पेलम भीड़ में जा-
काल को घर पे बुलाया है।
फिर से --/
बचना है तो समझो अभी,
मौका मिलेगा फिर न कभी।
सबको बचाओ और बचो-
प्रियम संदेशा लाया है।।
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