Sunday, April 18, 2021

909.सत्ता की हवस

भीड़ में तुझको बेशक ही,....जयकार सुनाई देता है।
ढेर पड़ी लाशों से मुझको......चीत्कार सुनाई देता है।
कर लोगे फतह तुम बेशक, सत्ता का ये सिंहासन पर-
हवस में तेरी हरदम......... हाहाकार सुनाई देता है।।
कवि पंकज प्रियम

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