Thursday, July 22, 2010

यही उमीद है.......नेताओं से ...



बिहार विधानसभा में जो कुछ भी हुआ और हो रहा है उसमे आश्चर्य की कोई बात नही है..आज की राजनीती में विधायक,सांसदऔर मंत्रियो से कुछ और उम्मीद नही की जा सकती ..राजनीती में नैतिकता का कोई मोल नही रह गया है और न ही अछे आचरण की आस हैं । ये सिर्फबिहार की बात नही संसदऔर दुसरे विधानसभा में भी इस तरह की घटनाए होती रही है ..हाँ बिहार में स्थिति सबसे बदतर हो गयी हैं। वहां जो कुछ भी हुआ वो निश्चित तौर पर शर्मनाक है और लोकतंत्र के लिए घातक , इस घटना से झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र की याद आ गयी जब एक स्कूल के बच्चे विधायी कार्यो को जानने -समझने के लिए विधानसभा आये थे ,ठीक उसी वक्त एक घोटाले की सीबीआई जाँच की मांग को लेकर विपक्ष ने हल्ला बोल रखा था। विधायको की आपसी गली-गलौज .कुर्सिओ की उठापटक और अनुसासनहीनता का मंजर देख उन नौनिहालों पर कितना नकारात्मक असर पड़ा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है । गाँधी,नेहरु और बल्लभ भाई पटेल जैसे लोग हर किसी के आदर्श है लेकिन आज का कोई भी नेता आदर्श बनने की योग्यता रखता है क्या ? इस हालात और आचरण से तो बिलकुल हो नही .......

पंकज भूषण पाठक,...

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