Monday, July 19, 2010

रेल हादसा




एक और हादसा ...और जिम्मेवारी ....



रविवार की देर रात एक और दर्दनाक हादसा हो गया .भागलपुर से रांची आ रही वनांचल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। सरकारी आकड़ो के मुताबिक ५० अधिक की मौत और १०० के करीब घायल है लेकिन असली आकडे इससे कहीं अधिक हैं। पिछले ६ महीनो में ४थि और इस महीने की ये दूसरी घटना है जब ट्रेन हादसे में यात्रिओ की जान पे बन आई। हादसा कैसे हुआ और कौन जिम्मेवार है इसके लिए जाँच बैठा दी गयी है मृत और घायलों के लिए मुआवजे का भी ऐलान कर दिया गया ...लेकिन क्या इतना भर से किसी की जिम्मेवारी ख़त्म हो गयी ? यात्री सुरक्षा के नाम पर किराये में अलग से से राशी जोड़ी जाती है और हरबार हादसे के बाद सुरक्षा पर ध्यान देने की बात कही जाती है लेकिन क्या होता है नतीजा वही ढाक के तीन पात .रेल मंत्री ममता बनर्जी ने कह दिया की हादसे के पीछे विरोधियो की साजिश है लेकिन क्या इससे उनकी जिम्मेवारी ख़त्म हो गयी .मंत्री होने के नाते क्या उनकी जवाबदेही नही बनती की रेल सुरक्षा पर ध्यान दिया जाय .क्या बजह है की तमाम कोशिशो के बावजूद रेल हादसे थमने का नाम नही ले रहे हैं ?ट्रेन से सफ़र करनेवाले यात्रिओ के मन में हमेशा असुरक्षा की आशंका बनी रहती है .नक्सली हमले का खौफ हो या फिर हादसे की आशंका ,पूरी रेल यातायात आज संदेह के घेरे में हैं ,झारखण्ड,ओरिसा ,बंगाल और बिहार में तो नक्सलियो के खौफ से रात में कई ट्रेने चल भी नही रही है। ऐसे में देश के सबसे बड़े यातायात व्यवस्था पर कैसे कोई भरोसा करे ?

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