झारखण्ड ... नही लूटखंड
सरप्लस बजट के साथ अस्तित्व में आये झारखण्ड का बजट बिगड़ चूका है। प्राकृतिक खनिज सम्पदा से परिपूर्ण इस राज्य की अधिकांश आबादी कर्ज के दलदल में फंसी है। प्रदेश की आधीआबादी गरीबी रेखा से निचे गुजर बसर कर रही है। शिक्षा,स्वास्थ्य और दूसरी मुलभुत सुविधाओ का भी बुरा हाल है। १० वर्ष की छोटी अवधि में राज्य के हालात तो नही बदले ,सूबे के नेताओ की सूरत और सीरत जरुर बदल गयी। राज्य की अकूत सम्पदा को नेताओ ने किस बेरहमी के साथ लुटा ....पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनके सहयोगियो का हाल देख अंदाजा लगाया जा सकता है...कोड़ा समेत आधे दर्जन नेता जेल की सलाखों के भीतर है और उनकी संपत्ति भी जब्त हो रही है। दुसरे नेता पाक -साफ है ऐसी बात नही है लेकिन क्या हैं न पकड़ा गया वो चोर जो बच गया उसकी सिरमौर ....लोगो ने न केवल यहाँ धन को लुटने का काम किया वरन बौद्धिक संपदा पर भी डाका डाला ..जेपीएससी घोटाला ,नेतरहाट नामांकन घोटाला जैसे मामले निश्चित तौर पर भगवन बिरसा ,सिद्धो-कान्हो और शेख भिकारी जैसे आन्दोलनकारियों की शहादत पर पानी फेर रहे हैं .....
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