Wednesday, January 1, 2020

770. वर्ष बदला है।

जमाने से जरा कह दो, फ़क़त ये वर्ष बदला है,
नहीं तो हम यहाँ बदले, नहीं उत्कर्ष बदला है।
सितम चाहे करो जितनी, नहीं मैं हार मानूंगा-
नहीं मेरी कलम बदली, नहीं संघर्ष बदला है।।
©पंकज प्रियम

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