गणतंत्र
लघुकथा
"सुनो जी! 26 जनवरी को छुट्टी है न तुम्हारी? कहाँ घूमने चलेंगे" कुसुम ने चहकते हुए अपने पति से पूछा।
"अरे नहीं ! उस दिन इतना काम है ऑफिस में सारी तैयारियां करनी है। सुबह ध्वजारोहण करना है फिर झाँकी परेड,पूरे दिन व्यस्तता रहेगी।" रमेश ने बगैर उसी ओर देखे कहा।
"तो फिर सरकार अवकाश की घोषणा क्यों करती है इस दिन?एक दिन की छुट्टी बर्बाद हो जाती है।"पत्नी झल्ला कर बोली।
रमेश ने बड़े प्यार से समझाया "अरे! सरकारी छुट्टी है तो क्या हुआ ।हमारे देश का ये पर्व है, आज के दिन हमारा संविधान लागू हुआ। हम सही मायनों में गणतंत्र हुए इसी का जश्न मनाने का दिन है। सरकार इसलिए छुट्टी देती है कि सभी इस दिन को धूमधाम से मनाएं।"
"वो सब ठीक है लेकिन छुट्टी तो बर्बाद हो जाती है न।आपको ऑफिस तो जाना ही पड़ेगा।" कुसुम की नाराजगी
"अरे बाबा #गणतंत्र_दिवस समारोह खत्म होते ही वापस आ जाऊंगा फिर पूरा दिन छुट्टी ही छुट्टी।शाम को घूमने ले चलूंगा। अब खुश!"
"ठीक है" कुसुम फिर से चहकती हुई चाय बनाने किचन की ओर चली गयी।
©पंकज प्रियम
गिरिडीह,झारखंड
2 comments:
बहुत ही सुंदर भाव संजोये बेहतरीन लेखन । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय
बहुत खूब ,आमतौर पर लोगों के नजर में ये एक छुट्टी का दिन ही होता हैं
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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