समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
उठो जागो चलो तबतक, मिले मंज़िल नहीं जबतक, कदम पे तुम भरोसा रख, सफ़र बैसाखियाँ कबतक। कभी जो जंग हो मन में, सदा दिल को सुनो लेकिन- नहीं कोई जीत पाता है, दिलों में द्वेष हो तबतक।। ©पंकज प्रियम स्वामी विवेकानंद जी जयंती पर शत शत नमन
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