हिंदुस्तान
मन में गंगा कफ़न तिरंगा, एक यही अरमान है,
मेरे दिल की हर धड़कन में बसता हिंदुस्तान है।
आँखों में पलते ख़्वाब बड़े, हौसला सागर के जैसा,
रखते आग हैं सूरज का और चंदा की मुस्कान है।
मन है विश्वास भरा और तन में जोश जवानी का,
वतन की ख़ातिर मरना जीना, वतन हमारी जान है।
हम सृजन के बीज धरा में, उगकर छूते अम्बर को,
मेहनत की हम रोटी खाते, दीन धरम ईमान है।
जाति-धर्म और मज़हब से, ना रिश्ता है नफ़रत से
दिल में रखता भारत प्रियम, सच्चा एक इंसान है।
©पंकज प्रियम
गिरिडीह, झारखंड
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