बिल्ली की कविता
सुन-सुन कर मेरी कविता
बिल्ली मौसी हुई परेशान।
कहने लगी रुक तू बेटा,
मैं करती हूँ तुझको हैरान।
झटपट कागज़-कलम उठाया,
क्या लिखूँ पर समझ न आया।
कैसे बनाऊं कविता में पहचान-
बिल्ली मौसी हुई परेशान।
व्हाट्सप्प फेसबुक सारा जहाँ,
बस देखों कवियों की भीड़ वहाँ।
चाहते सब हैं बस उड़ें आसमान-
बिल्ली मौसी हुई परेशान।
इसमें भी चलती लॉबिंग खूब,
जो चले अकेला वो जाता डूब।
इन चीजों से मैं तो हूँ अनजान,
बिल्ली मौसी हुई परेशान।
छोड़ो मौसी यह सब छोड़ो,
तुम तो केवल घर-घर दौड़ो।
मिलना-जुलना रखना ध्यान,
बिल्ली मौसी न हो परेशान।
©पंकज प्रियम
No comments:
Post a Comment