Wednesday, September 23, 2020

880.दिनकर

दिनकर

शब्दों की ज्वाला दहकाकर, हृदय में आग लगा डाला।
राष्ट्र प्रेम का भाव जगाकर, कण-कण देश जगा डाला।।
प्रखर ओज का स्वर बनकर, साहित्य क्षितिज में निकले ,
दिनकर बनके तमस जगत का, शब्द से मार भगा डाला।।
©पंकज प्रियम

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