Monday, September 28, 2020

882.बेटी

बेटी 
पिता की जान है बेटी , पिता अभिमान है बेटी .
हृदय हरपल धड़कती मात की तो प्राण है बेटी।
धरा से आसमां तक ये, यहाँ लहरा रही परचम- 
अरे माँ-बाप पे हरदम, छिड़कती जान है बेटी।।
 कवि पंकज प्रियम

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