Wednesday, June 13, 2018

361.कल हमारा हुआ

हमारा हुआ
वक्त का फिर नया सा इशारा हुआ
गुजरा कल मानो फिर हमारा हुआ।
जो वक्त गुजर गया था जिंदगी में
लौटके फिर वही मेरा सहारा हुआ।
उल्फ़त की राह में भी मुस्कुराते रहे
औरों की हंसी से मेरा गुजारा हुआ।
कहाँ तो बाजारों में सुकून ढूढते रहे
सुकूँ मानो आसमां का सितारा हुआ।
चरागों के तले अक्सर अंधेरा देखा
अंधेरी रात में जुगनू उजियारा हुआ।
जिनकी यादों के सहारे कटी जिंदगी
मानो दरिया का बहता किनारा हुआ।
©पंकज प्रियम

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