नेता हमारे इफ़्तार घर-घर खाते रहे
हमारे जवान उनके पत्थर खाते रहे।
हमारे जवान उनके पत्थर खाते रहे।
हम यहां पर ईद मुबारक कहते रहे
सरहद पे जवानों के लहू बहते रहे।
सरहद पे जवानों के लहू बहते रहे।
कहते हैं ईद भाईचारे का त्यौहार है
ईद पे भी उनका कैसा ये व्यवहार है।
ईद पे भी उनका कैसा ये व्यवहार है।
माहे रमज़ान हमने तो मोहलत दी थी
पर ईद में भी उन्होंने खून की ईदी दी।
पर ईद में भी उन्होंने खून की ईदी दी।
कैसी ये ईद है, कैसा माह रमजान है
तिरंगे में लिपटा,रोज लौटा जवान है।
तिरंगे में लिपटा,रोज लौटा जवान है।
रोजे में था सुजात,इफ़्तार मौत लाई
ईद में घर औरंगजेब की लाश आई।
ईद में घर औरंगजेब की लाश आई।
सरहद पार मन्सूबे,बड़े खतरनाक है
पाक की सारी हरकतें बड़ी नापाक है।
पाक की सारी हरकतें बड़ी नापाक है।
अब नहीं रमजान का हमें सब्र चाहिए
हर एक आतंकी का बना कब्र चाहिए।
हर एक आतंकी का बना कब्र चाहिए।
हमें नहीं अब नेताओं की निंदा चाहिए
एक भी आतंकी हमें नहीं जिंदा चाहिए।
एक भी आतंकी हमें नहीं जिंदा चाहिए।
आतंक का मुंहतोड़ जवाब देना होगा
हर पत्थर का हमें हिसाब लेना होगा।
हर पत्थर का हमें हिसाब लेना होगा।
©पंकज प्रियम
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