Saturday, June 23, 2018

369.दिल की बात

आज फिर से वही बात किया जाय
आंखों से दिल की बात किया जाय।
दिल के रस्ते रूह तक उतर जाने दो
मुहब्बत का यूँ एहसास किया जाय।
लबों को आज बस खामोश रहने दो
धड़कनों से ही मुलाकात किया जाय।
दिल को आज यूँ बस बहक जाने दो
महकती सांसों में ही रात किया जाय।
बदन को बस इश्क़ में महक जाने दो
बहके कदमों को एक साथ किया जाय।
नफरत की दीवारों को ढह जाने दो
जीवन को मुहब्बत के हाथ किया जाय।
©पंकज प्रियम8

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