Friday, January 25, 2019

512.सिंहासन

मुक्तक
बहुत हो गया अब तेरा भाषण
देख हिल रहा अब तेरा आसन
जाग चुकी है अब जनता सारी,
कर खाली अब मेरा सिंहासन।।
©पंकज प्रियम

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