Thursday, January 3, 2019

500.वन्देमातरम

वन्देमातरम
वन्देमातरम राष्ट्रगीत हम गाएँगे
राष्ट्रप्रेम का संगीत हम बजाएंगे।
जिस गीत से जय-जयघोष हुआ
जिस प्रीत से दिल मदहोश हुआ।
वीर जवानों में जिससे जोश चढ़ा
फिरंगियों का जिससे होश उड़ा।
वही जीत..फिर से हम दुहरायेंगे
वन्देमातरम राष्ट्रगीत हम गाएंगे।
जंगे-आज़ादी का जो गीत बना
वतनपरस्ती का जो संगीत बना।
जिस गीत को गाते कुरबान हुए
हँसते-हँसते शहीद जवान हुए।
शहादत को हम कैसे भुलाएँगे?
वंदेमातरम राष्ट्रगीत हम गाएंगे।
माँ भारती का यह अनुगूँजन है
भारत भूमि का ये निज वंदन है।
कण-कण माटी...रक्त चन्दन है।
उस वीर भूमि का अभिनंदन है।
जब भी जन-गण-मन दोहराएँगे
वन्देमातरम राष्ट्रगीत हम गाएँगे।
नही धर्म से कोई इसका है नाता
राष्ट्रगीत तो है आज़ादी का दाता
राष्ट्रगान है भारत भाग्य विधाता
राष्ट्रगीत फिर क्यों नहीं है गाता?
नफरत की फसल हम जलाएंगे
वन्देमातरम राष्ट्रगीत हम गाएंगे।
©पंकज प्रियम

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