कोरोना- 5
जनता कर्फ़्यू और लोगों की नजरिया
(व्यंग्य)-
(नोट:- कृपया कोई दिल पे न लें किसी को ठेस पहुंचाने की मंशा नहीं वर्तमान परिस्थितियों में जैसा देखा और सुना वही लिखा। बिल्कुल स्वच्छ व्यंग्य)
आज बहुत सारे लोग भी कह रहे हैं कि बहुत पहले कर्फ़्यू हो जाना चाहिए था लेकिन यही लोग 22 मार्च के जनता कर्फ़्यू का विरोध और मजाक कर रहे थे की इससे क्या फायदा होगा? विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने जनता कर्फ़्यू का मज़ाक बना विरोध जता दिया था। एक चपन्दूक नेता ने यहां तक बढ़कर कहा था कि जो कोरोना पीड़ित है उसे लाओ मैं गले लगाउंगा। आज कहीं दुबका पड़ा है घर में। यार हद है कुछ लोगों की चपन्दूकता। आज वही लोग कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री को बहुत पहले ही यह कदम उठा लेने की जरूरत थी। मतलब चित भी मेरी पट भी मेरी। प्रधानमंत्री ने देश के चिकित्सकों, पुलिसकर्मियों, पत्रकारों और उनसभी को धन्यवाद देने का आह्वान किया जो विषम परिस्थितियों में देश की सेवा में जुटे हैं तो पूरे देश ने ताली,तगली, घन्टी, डिब्बा, ढक्कन, शँख जो मिला उसी को बजाकर अपना धन्यवाद जताया। यद्यपि इसमें भी कुछ लोगों ने अति उत्साह दिखाकर पटाखे फोड़कर रैली निकाल दी जो बिल्कुल ही प्रधानमंत्री के अपील के विपरीत थी। लेकिन तथाकथित बुर्दहिमान,वचम्पादक और सो कॉल्ड सेक्यूलरों को यह बात नहीं पची और उन लोगों इसका भी मज़ाक बना दिया। यहाँ तक कि स्वनामधन्य पत्रकार और कई साहित्यकारों ने भी कह दिया कि भारत मूर्खो और मदारियों का देश है। मतलब आप अपने अहम में इतने चूर हो गए कि पीएम के सन्देश को भी सही ढंग से नहीं सुना और पूरे देश को मूर्ख और बंदर कह दिया। सुरक्षा के मद्देनजर सभी मंदिरों में भक्तों की पूजा पर रोक लग गयी लेकिन मस्जिद और सड़को पर सामूहिक नमाज जारी रहा। पूरे देश मे जनता कर्फ़्यू लग गया उसके बाद भी शाहीनबाग में लोग जमे रहे। क्या कहूँ शाहीनबाग की महिलाओं ने तो कोरोना को कुरान से जोड़कर कहना शुरू कर दिया था कि जो मुसलमानों को तंग करेगा उसी की जान लेगा कोरोना, उन्हें कुछ नहीं होगा। अरे हाँ पिछले सौ दिनों से धरने पर बैठे लोगों को भोजन पानी अल्लाह भेज रहा था लेकिन अब जबकि प्रशासन ने हटा दिया तो कह रहे भीख मांगने की नौबत आ गयी ।मतलब खुदा भी सिर्फ धरना के वक्त भोजन की आपूर्ति करता है क्या? मने की हद है यार! । एक मौलवी साहब ने तो सीधे कोरोना से बातचीत करने का दावा ठोक दिया और कहा कि मुसलमानों को बचाने के लिए कोरोना आया है। चीन,इटली और भारत समेत सभी उन देशों को खत्म करेगा जो उनलोगों को परेशान करता है। सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि लोग घरों में रहें लेकिन लोग मानते नहीं और मजबूरन प्रशासन को लाठी के जोर पर उन्हें घर वापस भेजना पड़ रहा है। मनुष्य खुद को श्रेष्ठ समझता है और इसलिए कुछ भी खा लेता है। जानवर भी अपनी प्रकृति के हिसाब से भोजन लेता है उसे आप दूसरी चीज खाने को नहीं दे सकते लेकिन मानव तो दानव से भी बदतर हो गया है। सांप, बिच्छु, केकड़ा, घोंघा, सुअर, चमगादड़ कुछ भी खा लेता है जिसका नतीजा कोरोना और हन्ता जैसे जानलेवा वायरस फैलता है एक चीन की गलत भोजन के कारण पूरी दुनिया संकट में है। उसका तो वैश्विक बहिष्कार हो जाना चाहिए।
पंकज भूषण पाठक प्रियम
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