कोरोना के खौफ़ से, देख गिरा बाज़ार।
सारा शेयर गिर गया, डूबा लाख हजार।।
करोना वायरस कहे, सुनता वह कुछ और।
कोरो ना बारिश समझ, बरसाता घनघोर।।
साज़िश किसने की यहाँ, जल्दी उसको खोज।
कोरो ना बारिश सुने,........ बरसे बदरा रोज।।
चैत माह में देख लो, घटाटोप घनघोर।
बरसे बरखा बावरी, बदरा बहके भोर।।
सुन-सुन के सन्देश ये, पकते सबके कान।
कैसे बचना है अभी, दे दो इसपर ध्यान।।
बचना गर जो कोरोना, करना एक उपाय।
दूर रहो तुम भीड़ से, कोई फटक न पाय।।
©पंकज प्रियम
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