Wednesday, March 25, 2020

797. सर्वश्रेष्ठ इंसान!!

सर्वश्रेष्ठ इंसान!!

जान बचाने आपकी, चिंतित है सरकार।
इससे दुर्दिन और क्या, मानव है बेकार।।

घर में रखने को अभी, लाठी चलती यार।
खुद की चिंता गर नहीं, जीना तेरा बेकार।।

जनता कर्फ़्यू की पड़ी, क्यूँ अभी दरकार?
इसपर भी चेते नहीं, क्या करे सरकार?

अपनी चिंता मत करो, फ़र्क नहीं कुछ यार।
औरों का खतरा बनें, है किसको अधिकार।।

जान बचाने के लिये, देना पड़ा फरमान।
कैसे खुद को बोलते, सर्वश्रेष्ठ इंसान।

©पंकज प्रियम

जान है तभी तो जहान है।
वरना ठिकाना श्मशान है।।
घर में रहें सुरक्षित रहें।

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