Thursday, November 1, 2018

460.मुक्तक।स्पंदन

मुक्तक

स्पंदन है तो तनमन है, उसी से बंध जीवन है
गति जो मंद पड़ जाए,समझ लो बंद जीवन है
अगर थकहार भी जाओ,कभी तुम हार ना मानो
समय के साथ चलने का,किया अनुबंध जीवन है।
©पंकज प्रियम

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