Thursday, November 1, 2018

461.वो माँ है

माँ
छोटी छोटी बातों का रखती जो ध्यान
मोटी मोटी बातों से रहती जो अनजान
नीचे धरती पे देखा जो इक आसमान
वो माँ है..वो माँ है..हाँ वो ही तो माँ है।
पलकों में रखती वो मेरी आँखों में सोती
निकले जो मेरे आँसू,मेरे नयनों से रोती
गोदी में खुशियां, आँचल दुनियां जहान
वो धरती..वो नदिया..वो ही आसमां है।
वो माँ है...
ममता की मूरत है या भगवान की सूरत
रहती सदा वो तत्पर,जब पड़ती जरूरत
सारी खुशियां करती अपनी जो बलिदान
वो जननी. वो दरिया. वो दया प्रतिमा है।
वो माँ है...
छोटे छोटे निवालों से,ऊंचे ऊंचे ख्यालों से
घर अंदर दीवारों से,बाहर दुनियावालों से
मुझको बचाके रखने को होती जो परेशान
वो देवी..वो करुणा...वो ही शील क्षमा है।
वो माँ है..
काली रात अंधेरों में,शरत चंद्र उजालों में
घर के गलियारों में,मस्जिद औ शिवालों में
दर दर मांगे वो मन्नत, ख़ातिर अपने सन्तान
वो काली..वो दुर्गा..वो सीता.वो ही अम्मा है।
वो माँ है...
गुलाबी धूप की सर्दी सी,बरखा बूंदे नरमी सी
हवा मस्त वो बसन्ती सी,जलता सूरज गर्मी सी
हरपल करती रक्षा मेरी,जैसे कि वो है भगवान
वो खुशबू..वो चन्दन.. वो महकी इक फ़िजां हैं
वो माँ है..
रात देर जब जगता हूँ, सुबह देर जब उठता हूँ
हरबार उसे खुद से पहले,जगा खड़ा मैं पाता हूँ
मेरे आंखों से उसकी निंदिया,है कितनी नादान
वो लोरी..वो बिस्तर.वो निंदी वो ही तो सपना है।
वो माँ है..हाँ वो माँ है..मेरी माँ है..सबकी माँ है।
©पंकज प्रियम

1 comment:

Ritu asooja rishikesh said...

मातृदिवस की शुभ कामनाएं