नाम की सियासत
बदल दो नाम तुम सारे,बदल दो काम तुम प्यारे
गरीबी ही संवर जाए,करो वह इंतजाम तुम प्यारे
नहीं भूखा कोई सोये, नहीं नैना कोई रोये
मिले सम्मान औरत को,बसा इक धाम तुम प्यारे।
फंसा है पेंच मन्दिर का, सुप्रीम कोर्ट में प्यारे
लगेगा नाम सियावर का, एयरपोर्ट में प्यारे
नहीं मन्दिर का मसला है,नहीं मस्जिद का झगड़ा है
सियासी खेल तमाशा ये,दिखता वोट में प्यारे।
©पंकज प्रियम
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