Thursday, November 29, 2018

462.ख़्वाब

ख़्वाब

पलक जो बंद कर देखा,उसे ही ख़्वाब कहते हैं
पलक जो खोल कर देखा,उसे भी ख़्वाब कहते हैं।
निगाहों के समंदर में, हसीं एक ख़्वाब जो लहरा,
उड़ा दे नींद पलकों की,उसे भी ख़्वाब कहते हैं।

©पंकज प्रियम

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