Friday, November 9, 2018

471.आदमी कैसे खुदा हो जाएगा

खुद से कोई कैसे जुदा हो जाएगा
आदमी कोई कैसे खुदा हो जाएगा।
जिस्म से भले ही जान निकल जाए
रूह से कोई कैसे बेवफ़ा हो जाएगा।
जिस्म नहीं रूह तक मुझको जाना
सफ़र भला कैसे आसां हो जाएगा।
मुहब्बत पाक इबादत है जानेजाना
इश्क़ कर लो दिल नादां हो जाएगा।
दिल की बातें दिल को ही समझाना
मुहब्बत का वहीं फैसला हो जाएगा।
नहीं करना तू जल्दबाज़ी में फैसला
ग़लत फैसलों से फासला हो जाएगा।
दुनियां बहुत देखी है तुमने तो प्रियम
साथ चलने से तुझे हौसला हो जाएगा।
©पंकज प्रियम

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