समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
मुक्तक .गुज़ारिश
गुजारिश है मेरे दिल की,कभी तुम दूर ना करना गुजारिश है मेरे मन की,कभी मजबूर ना करना मैं तेरा प्रेम हूँ दिलवर हूँ, तू मेरी हर ख़्वाहिश है मुहब्बत के सफ़र में तुम,कभी मग़रूर ना करना।
©पंकज प्रियम
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