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Tuesday, May 7, 2019

579.जीवन पथ

जो आया है वो जाएगा, कौन यहाँ रह पाएगा।
माटी का यह देह यहीं पे, माटी में मिल जाएगा।

बचपन समझो भोर उजाला,
उमर जवानी तपती ज्वाला।
साँझ ढले ज्यूँ आये बुढ़ापा,
पलपल खोये जो खुद आपा।

घोर अंधेरा जब छाएगा, सूरज तो थम जाएगा।
जो आया है वो जाएगा, कौन यहाँ रह पाएगा।

ये धन-दौलत ये सब शोहरत,
ये रंग-जवानी और ये सूरत।
प्रेम-मुहब्बत और ये नफ़रत,
जीवन भर की सारी ज़रूरत।

सबकुछ यहीं रह जाएगा, संग नहीं कुछ जाएगा
जो आया है वो जाएगा, कौन यहाँ रह पाएगा।

किस बात पे है तू अभिमानी
सबको ही मूरख समझे ज्ञानी।
जीवन नश्वर कुछ नहीं काया
सबकुछ है कुछ पल की माया।

पल में धड़कन थम जाएगा, कौन इसे कह पाएगा।
जो आया है वो जाएगा, कौन यहाँ रह पाएगा।

©पंकज प्रियम

Monday, April 8, 2019

543.छोड़ दूंगा जमाना


मुहब्बत मुझे ना कभी आजमाना
तुम्हारे लिए...छोड़ दूँगा जमाना।
अभी तो मुहब्बत शुरू ही हुआ है
कहो तो अभी छोड़ दूँगा जमाना।

तुझे देखकर ये,  मुझे क्या हुआ है
अभी तो यहीं था अभी क्या हुआ है
निगाहों से ऐसे न मुझको पिलाना।
तुम्हारे लिए......छोड़ दूँगा जमाना।

तुम्हारी निगाहें,  बड़ी क़ातिलाना
लगाती है दिल पे ये सीधे निशाना
निगाहों के ख़ंजर न मुझपे चलाना।
तुम्हारे लिए.....छोड़ दूँगा जमाना।

अभी तो सफ़र ये शुरू ही हुआ है
नज़र का नज़र पे नया कारवां है।
अकेले डगर में..नहीं छोड़ जाना,
तुम्हारे लिए....छोड़ दूँगा जमाना।

©पंकज प्रियम
08/04/2019

Wednesday, March 20, 2019

538.होली का त्यौहार

होली का त्यौहार है

रंग से रंग लगा ले सजना, रंगों का त्यौहार है
अंग से अंग लगा ले जाना, होली का त्यौहार है।

प्रीत का रंग गुलाबी देखो, चमक रही हरियाली।
गालों पे आ मल दूँ गोरी, रंग गुलाल भर थाली।
होंठो पे छायी लाली, आंखों में छाया खुमार है।
रंग से रंग...।

कोरे कागज़ जैसा तन-मन, खाली है मेरा जीवन
प्रेम का रंग तू भर दे साजन, रंग दे मेरा अंतर्मन।
सागर की लहरों के जैसे, दिल में उठा ये ज्वार है।
रंग से रंग...।

होली रंगों का खेल सजन, मन उमंग मेल सजन
रंग दो मेरी चोली चुनर, रंग दो मेरा सारा बदन।
भर लो अपने अंक सजन, आयी रुत ये बहार है
रंग से रंग...।

©पंकज प्रियम
20 मार्च 2019

Thursday, March 7, 2019

535.बसन्ती चुनरिया

बसंत/खोरठा गीत

चले लागल हावा कइसन उड़े रे चुनरिया।
होलिया  के गीत अइसन लागे रे गुजरिया।

अम्बवा मंजेर गेलेय, फुयल गेलेय पलसवा।
होलिया के रंग से रंग, भैयर गेलेय कलशवा।
बड़ी सुंदर हवा चले, आय गेलेय फगुनवा ।
रंग-बिरंग फूल खिलल, झूमय मोरा मनवा।
अइले जे बसन्त ऋतु, बहकल सब उमरिया।
होलिया के गीत...।

बड़ी सुंदर गोर-गोर, फूलल हो सहजनवा।
डारे -डारे फैर गेलेय, बड़ी बेस कटहलवा।
गली- गली बाजे लागल, ढोलवा-मंजीरवा।
धूल संगे उड़े लागल, रंग बिरंग अबीरवा।
चम चम चमके नैना, जईसन की बिजुरिया।
होलिया के गीत....।

गोरे गोरे गोर गौरिया फूलल तोर गलवा
आय लगाय दियो लाल पीयर गुललवा।
भौजी संग नाचै, देखीं बुढ़वा देवरवा
साली संगे डूबे जीजा भरल रंग टबवा।
छोडबो नाय तोरा , चाहे तोय दे गरिया।
होलिया के गीत...।

राधा के रंग मारे, कान्हा पिचकारिया
भींगे तोर चोली गोरी भींगे तोर चुनरिया
तोय हमर गोर गोरिया हम तोर साँवरिया
होलिया के गीत अइसन गाहीं रे गुजरिया।

चले लागल हावा कइसन ,उड़े रे चुनरिया
होलिया के गीत जइसन, लागे रे गुजरिया।
©पंकज प्रियम

Wednesday, February 27, 2019

533.करारा जवाब

करारा जवाब 

आतंकी को क्या खूब, दिया जवाब करारा है .
कल घुसकर मारा था ,अब घुसपैठ पे मारा है,.

सुन लो पाकिस्तान, अब तेरी औकात बताएँगे.
धरती पे बम मारा, अम्बर से भी मार गिराएंगे.
नहीं मिलेगी जमी तुझे, न आसमां तेरा होगा,
तिरंगा तेरी छाती पर, देखना आज फहराएँगे.
मत भूलो तेरे हर जर्रे पर पहला हक हमारा है.
कल घुस कर मारा था .....

नापाक इरादों पर तेरे , पानी फेर हम जाएँगे.
पानी -पानी कर देंगे और बूंद -बूंद तरसाएंगे.
न दफन को कब्र मिलेगी ,न ही कफन मिलेगा,
जल जाओगे जिन्दा , जो शोले हम बरसाएंगे.
धुल चटाई है हमने

,जब भी तुमने ललकारा है.
कल घुस कर मारा था ....
आतंकी को क्या खूब दिया जवाब करारा है .
कल घुसकर मारा था ,अब घुसपैठ पे मारा है
@पंकज प्रियम 

Friday, February 22, 2019

530.गिरिडीह

गिरिडीह
पार्श्वनाथ की धरा, जर्रा-जर्रा उर्वरा।
भूगर्भ कोयला भरा, हरी-भरी वसुंधरा।
सकरी उसरी नदी, बराकर तो शान है,
अभ्रकों की खान से, विश्व पहचान है।
रूबी रत्न सम्पदा, खनिज का भंडार है।
महुआ बाँस हैं भरे, पलास का श्रृंगार है।
जगदीश चन्द्र बोस से मेरा स्वाभिमान है,
साहित्य रत्न हैं भरे, संस्कृति महान है।।
लंगेश्वरी तपोभूमि, एकता का भाव है।
शांति-प्रेम भावना, सादगी स्वभाव है।
लौह कर्मभूमि है, पत्थरों की खान है,
समृद्ध मेरी संस्कृति, खोरठा ज़ुबान है।।
ये गिरी से है जुड़ा, जलेबी घाटी से मुड़ा।
रक्षा स्वाभिमान को, सदैव ही रहे खड़ा।
छत बिना मन्दिर एक, झारखण्डी धाम है,
झारखण्ड का जिला, गिरिडीह नाम है।।
©पंकज प्रियम

Monday, February 4, 2019

516.याद करके तुझे

गीत
मापनी-212    212  212  212
मुखड़ा-
नाम लेकर तेरा.... गुनगुनाने लगे
याद करके तुझे.... मुस्कुराने लगे।
प्यार में इस कदर हम दिवाने हुए।
ख़्वाब में भी तुझे हम जगाने लगे।
अंतरा-1
संगमरमर बदन वो झलकता हुआ
रूप यौवन भरा वो छलकता हुआ।
आँख से जाम तुम जो पिलाने लगे
ताल से ताल..हम तो मिलाने लगे।
नाम लेकर....
2
ज़ुल्फ़ सावन घटा घोर छाने लगी।
हुस्न को देख..बरसात आने लगी।
आग पानी में तुम, जो लगाने लगे,
इश्क़ की आग दिल में जलाने लगे।
नाम लेकर .....
3
धड़कनों में सदा तुम धड़कते रहे।
सांस बनकर रगों में फड़कते रहे।
जिस्म से रूह में तुम उतर जो गए,
जान लेकर ...मेरी जां बचाने लगे।
नाम लेकर ...
4
होठ अंगार .जलते-दहकते सनम।
होश मदहोश करते बहकते कदम।
बिजलियाँ इस कदर जो गिराने लगे
चोट खाकर....तुम्हीं में समाने लगे।
नाम लेकर...
5
लफ्ज़ बनके कलम से बिखरते रहे
गीत ग़ज़लों में ढलते निखरते रहे।
चाँद बनके गगन झिलमिलाने लगे
फूल भी बाग में खिलखिलाने लगे।
नाम लेकर....
©पंकज प्रियम

Thursday, January 3, 2019

500.वन्देमातरम

वन्देमातरम
वन्देमातरम राष्ट्रगीत हम गाएँगे
राष्ट्रप्रेम का संगीत हम बजाएंगे।
जिस गीत से जय-जयघोष हुआ
जिस प्रीत से दिल मदहोश हुआ।
वीर जवानों में जिससे जोश चढ़ा
फिरंगियों का जिससे होश उड़ा।
वही जीत..फिर से हम दुहरायेंगे
वन्देमातरम राष्ट्रगीत हम गाएंगे।
जंगे-आज़ादी का जो गीत बना
वतनपरस्ती का जो संगीत बना।
जिस गीत को गाते कुरबान हुए
हँसते-हँसते शहीद जवान हुए।
शहादत को हम कैसे भुलाएँगे?
वंदेमातरम राष्ट्रगीत हम गाएंगे।
माँ भारती का यह अनुगूँजन है
भारत भूमि का ये निज वंदन है।
कण-कण माटी...रक्त चन्दन है।
उस वीर भूमि का अभिनंदन है।
जब भी जन-गण-मन दोहराएँगे
वन्देमातरम राष्ट्रगीत हम गाएँगे।
नही धर्म से कोई इसका है नाता
राष्ट्रगीत तो है आज़ादी का दाता
राष्ट्रगान है भारत भाग्य विधाता
राष्ट्रगीत फिर क्यों नहीं है गाता?
नफरत की फसल हम जलाएंगे
वन्देमातरम राष्ट्रगीत हम गाएंगे।
©पंकज प्रियम

Monday, December 24, 2018

490.जल गयी नन्ही कली

जल गयी नन्ही कली
जल गयी नन्ही कली
रो रहा है दिल मेरा,आँखे फिर ये नम हुई
वासना की आग से,बेटी फिर से कम हुई।
देखो जिंदा जल गई, फिर से नन्ही कली,
आसिफा.निर्भया,नेहा और अब संजली।।
जल गयी नेहा यहाँ, जल गयी ये संजली।

आसमां ये जल रहा, धरती देखो गल रही,
वासना की आग कैसी हर तरफ जल रही।
रह गया महफ़ूज नही कोई दर कोई गली,
देखो कैसे जल गयी,फूलों सी नंन्ही कली।।
आसिफा....।
कैसी है यह आशिक़ी, कैसी है यह गन्दगी
एक तरफ के खेल में, हारती बस जिन्दगी।
बहशी दरिन्दे फिर रहे, हर डगर हर गली,
देखो कैसे जल गयी, फूलों सी नन्ही कली।
आसिफा..।
क्या खुदा बहरा हुआ,या ये ईश्वर सो गया,
सामने सरकार के कैसे यह मंज़र हो गया।
दिनदहाड़े बीच सड़क,मौत की कैसे चली
देखो कैसे जल गयी,फूलों सी नन्ही कली।।
आसिफा...।
बेटी अब कैसे पढ़े, किस तरह आगे बढ़े,
कोख में तो मर रही,बाहर भी जिंदा चढ़े।
कोई समझे गुड़ तो कोई कहे मिश्री डली,
हाथों ही मसल गयी, कैसे खिलती कली।।
आसिफा....।
समझा दो लड़कों को, अब कदम रोक लें,
जो ना समझे वो अगर, खुद से ही ठोक दें।
वासना की बेदी में, ना चढ़ाएं अब वो बलि,
इधर उनके कदम बढ़े,उधर से गोली चली।।
आसिफा....।
©पंकज प्रियम
#संजली@आगरा
#नेहा@देहरादून

Thursday, December 13, 2018

474.चुनरिया

चुनरी

उड़-उड़ जाए तेरी चुनरिया,
मेरा दिल धड़काए
रह-रह के तड़पाये गोरिया
जब चुनरी तू सरकाए

रंग-बिरंगी चुनर तेरी
तितली भी शरमाये
आसमां में छाए बदरी
इंद्रधनुषी सी भरमाए।
धक-धक के धड़काये गोरिया
जब चुनरी तू सरकाए।
रह-रह..

धानी तेरी चुनर गोरी
मन में लगन लगाए
लाली तेरी चुनर गोरी
तन में अगन जगाए।
मह-मह के महकाए गोरिया
जब चुनरी तू सरकाये
रह-रह के बहकाए गोरिया
जब चुनरी तू सरकाए
©पंकज प्रियम

Saturday, December 8, 2018

469.दिल पोपट


दिल पोपट मेरा बोले रे
धक-धक जियरा डोले रे

जब-जब तुझको देखूं मैं
जब -जब तुझको सोचूं मैं
कुहू -कुहू दिल मेरा बोले रे
धक-धक..

जब मैं तुझसे बात करूँ
तुझसे जो मुलाकात करूँ
कनवा शहद सा घोले रे
धक-धक....

जब जब तुझको याद करूँ
दिल को अपने आबाद करूँ
धड़क -धड़क दिल मेरा होले रे
धक- धक.....

सपनों में जब तुम आते हो
आंखों से निंदिया उड़ाते हो
बोलो क्या दिल तेरा बोले रे
धक -धक जियरा डोले रे

मन मैना मेरा बोले रे
धक- धक जियरा डोले रे।

©पंकज प्रियम

Friday, December 7, 2018

465.जरलाहा जाड़

जरलाहा जाड़/खोरठा गीत

चले लागल हावा कइसन,भींगे रे चुनरिया
जरलाहा जाड़ कइसन,लागे रे गुजरिया।

थरथर देह कांपे,कटकटाय दंतवाँ
कनकनी हवा बहे,कंपकँपाय हंथवा।
कम्बल कम पड़े,कम पड़े चदरिया।
जरलाहा जाड़ कइसन, लागे रे गुजरिया।

पनिया करंट मारे, कैसे हम नहैबे
खनवा भी ठंडा लागे, कैसे हम खैबे।
पूजा पाठ कैसे हम, करबे रे पूजरिया
जरलाहा जाड़ कइसन, लागे रे गुजरिया।

©पंकज प्रियम

Saturday, December 1, 2018

464.नाम रहता है

मुखड़ा

हर घड़ी हर पहर,सुबहो-शाम रहता है
मेरे होठों पर बस तेरा ही नाम रहता है.

अंतरा 1
जब से देखा है तुझे,हो गया है क्या मुझे
तेरी सूरत के सिवा,कुछ नहीं दिखता मुझे
मेरी आँखों में बस तेरा ही अक्स रहता है।
हर घड़ी...

2.
तू चँचल सी हवा, तू शीतल सी हवा
छू गयी मेरा बदन, न जाने क्या हुआ
मेरे जिस्मों में बस तेरा ही गुलाब रहता है।
हर घड़ी...

3.
पल में पलकों से मेरी,पल में तू खो गई
पल में अपनों सी मेरी,पल में तू हो गई
मेरी पलकों में बस तेरा ही ख़्वाब रहता है।
हर घड़ी....

4.
ऐ हवा ! ऐ फ़िजां! ऐ गगन!  ऐ घटा !
है मेरा मेहबूब कहाँ, उसका तू दे पता।
मेरी गजलों में बस तेरा ही पैगाम रहता है।

हर घड़ी हर पहर, सुबहो-शाम रहता है
मेरे होठों पर बस तेरा ही नाम रहता है।

©पंकज भूषण पाठक"प्रियम"

Thursday, March 1, 2018

मेरा रंग लगाओ न

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उड़े होली के रंग बहुत
तुम मेरा रंग लगाओ न।
चढ़े होली के भंग बहुत
होठो से भंग पिलाओ न।

होंगे सुंदर गाल बहुत
गुलाल मेरा मलवाओ न
महक उठेगा बदन बहुत
सुंगध मेरी लगाओ न।

चहक उठेगा तन बहुत
अंग से अंग लगाओ न।
बहक उठेगा उमंग बहुत
मन से तरंग उठाओ न।

भींग जाएगी चुनरी चोली
तुम मेरे संग नहाओ न।
फिर आएगी कैसी होली
तुम मेरा रंग लगाओ न।

होली रंगों का खेला है
मन उमंगों का मेला है
याद आएंगे फिर बहुत
तुम मेरे रंग, रंग जाओ न।

मिल जाएंगे मीत बहुत
तुम मुझसे प्रीत लगाओ न।
बन जाएंगे रीत बहुत
तुम मेरा गीत सुनाओ न।

घुल जाएंगे रंग बहुत
तुम मेरा रंग मिलाओ न।
चढ़े होली के भंग बहुत
होठों से भंग पिलाओ न।

©पंकज प्रियम