Tuesday, May 7, 2019

579.जीवन पथ

जो आया है वो जाएगा, कौन यहाँ रह पाएगा।
माटी का यह देह यहीं पे, माटी में मिल जाएगा।

बचपन समझो भोर उजाला,
उमर जवानी तपती ज्वाला।
साँझ ढले ज्यूँ आये बुढ़ापा,
पलपल खोये जो खुद आपा।

घोर अंधेरा जब छाएगा, सूरज तो थम जाएगा।
जो आया है वो जाएगा, कौन यहाँ रह पाएगा।

ये धन-दौलत ये सब शोहरत,
ये रंग-जवानी और ये सूरत।
प्रेम-मुहब्बत और ये नफ़रत,
जीवन भर की सारी ज़रूरत।

सबकुछ यहीं रह जाएगा, संग नहीं कुछ जाएगा
जो आया है वो जाएगा, कौन यहाँ रह पाएगा।

किस बात पे है तू अभिमानी
सबको ही मूरख समझे ज्ञानी।
जीवन नश्वर कुछ नहीं काया
सबकुछ है कुछ पल की माया।

पल में धड़कन थम जाएगा, कौन इसे कह पाएगा।
जो आया है वो जाएगा, कौन यहाँ रह पाएगा।

©पंकज प्रियम

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