Friday, December 7, 2018

465.जरलाहा जाड़

जरलाहा जाड़/खोरठा गीत

चले लागल हावा कइसन,भींगे रे चुनरिया
जरलाहा जाड़ कइसन,लागे रे गुजरिया।

थरथर देह कांपे,कटकटाय दंतवाँ
कनकनी हवा बहे,कंपकँपाय हंथवा।
कम्बल कम पड़े,कम पड़े चदरिया।
जरलाहा जाड़ कइसन, लागे रे गुजरिया।

पनिया करंट मारे, कैसे हम नहैबे
खनवा भी ठंडा लागे, कैसे हम खैबे।
पूजा पाठ कैसे हम, करबे रे पूजरिया
जरलाहा जाड़ कइसन, लागे रे गुजरिया।

©पंकज प्रियम

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