वर दे
वर दे! माँ भारती तू वर दे
अहम-द्वेष तिमिर मन हर
शील स्नेह सम्मान भर दे।
वर दे! माँ शारदे तू वर दे।
बाल अबोध सुलभ मन
अविवेक अज्ञान सब हर ले
जड़ मूढ़ अबूझ सरल मन
बुद्धि विवेक विज्ञान कर् दे।
अनगढ़ अनजान अनल मन
सत्य असत्य का ज्ञान भर दे।
नव संचार विचार नव नव मन
नव प्रकाश नव विहान कर दे।
वर दे! माँ भारती तू वर दे।
© पंकज भूषण पाठक"प्रियम्
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