क्यूँ हाथ मिलाएंगे
जिनके हाथ रंगे लहू से, क्यूँ उससे हाथ मिलाएंगे
जिसकी नियत में गद्दारी, क्यूँ हमसे आँख मिलाएंगे।
जब भी हमने हाथ मिलाया, पीठ में ख़ंजर है पाया
जिसकी फ़ितरत है गंदी, क्यूँ उसको साथ बिठाएंगे।
जिसकी नियत में गद्दारी, क्यूँ हमसे आँख मिलाएंगे।
जब भी हमने हाथ मिलाया, पीठ में ख़ंजर है पाया
जिसकी फ़ितरत है गंदी, क्यूँ उसको साथ बिठाएंगे।
©पंकज प्रियम
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