Saturday, February 16, 2019

526.भारत की पुकार

उपचार करो
आर करो या पार करो
दुश्मन का संहार करो
बंद करो ये रोना धोना ,
रणभेरी की हुंकार करो।

लहूलुहान है गर्दन मेरी,
कुछ मेरा उपचार करो
काट दुश्मनों का शीश 
भारत को उपहार करो।

बहा लिया है रक्त बहुत,
निंदा नहीं ललकार करो
कूद पड़ो रणभूमि में अब
हाथों को ही तलवार करो।

सहा बहुत घात भीतरी 
अब तुम प्रतिकार करो
दुश्मनों से पहले अब तू
ग़द्दारों पर ही वार करो।

जर्रा जर्रा उसका थर्राए
जोर से इतना प्रहार करो
नेस्तनाबूद कर दो उसका
पाक के टुकड़े चार करो।

बहुत कर लिया बातचीत
रण में अब ललकार करो
घुस आया वो कश्मीर तो
लाहौर करांची पार करो।
©पंकज प्रियम

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